Monday 20 March 2017

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 निगाहो में अभी तक दूसरा कोई चेहरा ही नहीं आया,
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का..
                     
फरियाद कर रही है तरसती  हुई निगाहें,
देखे हुए किसी को बहुत दिन गुज़र गए..        

             
 फांसले अक्सर मोहब्बत ने बढ़ा लिए है,
पर ऐसा नहीं की मैंने मिलना छोड़ दिया...                      


 फांसला रख के क्या हासिल कर लिया तुमने,
रहते तो आज भी तुम मेरे दिल में ही हो..

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