Tuesday 21 March 2017

पिया तुम बिन सावन मै क्या करूँ?

                                                 
घिर के जो आये कारी बदरिया
मन मे दु:ख के उठे लहरिया
पिया तुम बिन सावन का क्या करूँ
ऐसे भीगे रूत में कैसे धीर धरूँ

ठंडी हवाएं मेरा जिया तरसाए
बार बार अँखियाँ भर आये
बरसे बुंद जब तन को भिगाये
बिरह की अग्नि मे मै जल मरूँ
पिया तुम बिन सावन का क्या करूँ....

रूठे तुम जब से रुठे सुख सारे
तुम ही रहे पिया जब ना हमारे
हम आस भी हारे विश्वास भी हारे
मिले, तेरे मन मे सारे दु:ख मै भरूँ
पिया तुम बिन सावन का क्या करूँ......

सुन सजना जो तु लौट के आये
तरसा जीवन थोडा सुख पाये
बहुत हुआ ना अब सहा जाये
कहीं बिरह जान ना ले जाये, डरूँ
पिया तुम बिन सावन का क्या करूँ

.... कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट । poem on up election, poem on Yogi adityanath, hindi kavita on up chunav

कैसे बीतेंगे आने वाले पाँच बरस,
यह तय करेगा आपका एक वोट,
फिर ना कोई सोए भूखा,
....... कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।

अब ना हो ऐसे चीर हरण,
ना शीश कटें जवानों के,
हर खेत में लहके धानी चुनर,...
ना लटके धड़ किसानों के ।
....... कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।   

Monday 20 March 2017

तीन तलाक | kavita on teen talak | hindi kavita on teen talak

तीन तलाक

मेरे इस्कूल जाते वक्त
तीन तीन घंटे, तेरा मेरे दिदार का तकल्लुफ
दिखते ही मेरे,
तेरे चेहरे पर रंगत आ जाना
मेरे बुर्कानशीं होकर आने पर
वो तेरी मुस्कान का बेवा हो जाना
मेरे इस्कूल ना जाने कि सूरते हाल में
तेरा गली में साइकिल की घंटियां बजाना सुनकर
खो गई थी मैं,
और तेरी जुस्तजू में
दे दिया था मैंने मेरे अपनों की यादों को तलाक
कबूल है, कबूल है, कबूल है......

वो जादुई तीन शब्द
और
तेरा करके मूझे घूंघट से बेपर्दा,
करना मुझसे पलकें उठाने की गुजारिश
वो मुखङा दिखाने की आरजू-ओ-मिन्नत
लेटकर मेरी गोद में
मेरे झुमके को नजाकत से छुना
याद है मुझे, तेरा मेरे कंगन ओ चुङियों से खेलना
और तेरी मोहब्बत में
दे दिया था मैंने अपने खुद के वजूद को तलाक
तेरे मेरे आकाश में
तीन तीन सितारों का उगना
तेरे ना होने पर इनका तेरी खातिर मासूम इंतजार
और तेरे आने पर
अपनी अम्मी के पीछे छुप जाना
हल्की सी बुखार की तपन पर तेरा रात रात जागना
और
तपन का तेरी आंखों की लाली बन उतरना
तेरा इन सोते हुए फूलों को चूमना
और तेरे इतने रूहानी खयालात में
दे दिया था मैंने अपनी हर फिक्र को तलाक
श्वेत धवल जिंदगी में
तूने मेरे और मैंने तेरे, भर दिये थे तीनों रंग
लालीमय सुबह, सुनहरा दिन और केसरिया शाम
कितना गुलनशीं था सबकुछ
फूल पुरजोर महकते थे,
बय़ार पुरशूकन गाती थी,
सितारों कि वो टिमटिम अठखेलियां
और
मेरा हाथ थामें तूं मेरा पूरा जहां
और तेरे हंसी आगोश में
दे दिया था मैंने अपने हर रंजो-गम को तलाक
पर तीन रंगों से समयचक्र पूरा तो नहीं होता
तो मैं कैसे पूरी हो जाती
तलाक... तलाक... तलाक... तीन तलाक....

फिर ये तीन शब्द भी आये इक रोज
रात की काली रंगत से मेरा परिचय कराने
क्योंकि तूं मर्द था
और तूझ पर मौजूं थे चार निकाह
और, मैंने कर दिया था इन्कार
बांटने को मेरे तीन रंगों को किसी और के साथ
और तेरी जवानी की झाल में
दे दिया तूंने मेरी हसरतों को तीन तलाक
तीन शब्दों में तूने, तार तार कर डाला,
हर रूहानी रिश्ता, हर रूहानी याद, हर रूहानी वादा
बङा याद आता है....... तूं हर वक्त.....

रो पङते हैं बच्चे रातों को अक्सर
और मैं अकेली इन्हें चुप भी नहीं करा पाती
तेरे बिन सुबहो अब चूभती है मूझे
क्या करूं, कैसे करूं, कहां जाऊं, कहां मरूं
आजा इक आखिरी बार, देख तो जा
कि तूंने बस यूं ही बोल कर तीन तलाक
किस तरह से किया है,
इक खिलखिलाते ताजमहल को खाक
माना अब फूल मेरे जीवन में ना महकेंगें,
माना अब पुरवा मेरे लिए ना गाएगी,
अब सितारे मेरी हसरतों को पूरा करने को ना टूटेंगें
पर फिर भी
खुदा से ये दुआ है मेरी
कि, रखे वो तुझे मेरी बद्दुआओं से महफूज
परवरदिगार बख्शे तूझ तक पहुंचने से
मेरे बच्चों के आंसुओं की आग
तेरी खातिर अब से पहले भी
मैंने खुद को दिये हैं बहुत से तलाक
जा मैं भी करती हूं आजाद तूझे
तलाक... तलाक... तलाक... तीन तलाक....
आज तक की सबसे बेहतरीन गजल...

रुख़सत हुआ तो आँख मिलाकर नहीं गया,
वो क्यूँ गया है ये भी बताकर नहीं गया।

यूँ लग रहा है जैसे अभी लौट आएगा,
जाते हुए चिराग़ बुझाकर नहीं गया।

बस, इक लकीर खेंच गया दरमियान में,
दीवार रास्ते में बनाकर नहीं गया।

शायद वो मिल ही जाए मगर जुस्तजू है शर्त,
वो अपने नक़्श-ए-पा तो मिटाकर नहीं गया।

घर में हैं आज तक वही ख़ुशबू बसी हुई,
लगता है यूँ कि जैसे वो आकर नहीं गया।

रहने दिया न उसने किसी काम का मुझे,
और ख़ाक में भी मुझको मिलाकर नहीं गया।

hindi shayri, hindi sad shayari, hindi poem, best lines on love, love poem, shayari

 निगाहो में अभी तक दूसरा कोई चेहरा ही नहीं आया,
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का..
                     
फरियाद कर रही है तरसती  हुई निगाहें,
देखे हुए किसी को बहुत दिन गुज़र गए..        

             
 फांसले अक्सर मोहब्बत ने बढ़ा लिए है,
पर ऐसा नहीं की मैंने मिलना छोड़ दिया...                      


 फांसला रख के क्या हासिल कर लिया तुमने,
रहते तो आज भी तुम मेरे दिल में ही हो..

Hindi love romantic shayri poem , hindi kavita, hindi shayari, sad hindi poem

ना जाने कौन थी वो रंग जैसे दिल पे चढ़ गई
वो बंद आँख से भी मन सारी बाते पढ़ गयी ॥

सुबह का रंग थी या लाली शाम की
या कोई चीज़ थी बगैर दाम की

जो कह गयी थी वो थी बात काम की
थी मयकदे में यूँ सुराही ज़ाम की

ये भूल इश्क़ की हमें बड़ी ही महंगी पड़ गयी
वो बंद आँख से भी मन सारी बाते पढ़ गयी ॥ १

क्या ढाई शब्द का वो कोई तार थी
या जो लगे भली वो मीठी हार थी

अगर मगर वो क्या नज़र की धार थी
जो ठग गयी हमे वो ऐसी नार थी

न जाने बात ये जरा सी कैसे इतनी बढ़ गयी
वो बंद आँख से भी मन सारी बाते पढ़ गयी ॥
याद है वो सब जो मिला है अबतक



चोरी चुपके उसकी याद में आंसू बहाना याद है
जलती शमा पे फ़िदा वो परवाना याद है !

वो अंजान था फिर भी उसके प्यार में ..
खुद को तड़पाना याद है
यूँ बिना रुख़ किये मेरी तरफ ,उसका..
महफ़िल से चले जाना याद है

याद है वो लम्हे जो गुजार दिए इंतजार में
उसके बिना ,उसके लिए सजदे में जाना याद है।
यक़ीन था खुद पर तू आएगा वापस ..
वो बरस भर बाद मेरे लिए तेरा मुस्काना याद है ..!

याद है वो बारिश जिसमे संग भीगे थे हम ..
वो नम लबों से मुझको तेरा छु जाना याद है !
वो लम्हें जिनमे तुझ संग मैं कहीं और ही खोई रही
वो रातें जो तेरे जाने के बाद मैं खुली आँख सोई रही !

तुझसे दूर अब हर लम्हा लगता मुझे बरबाद है ..
तुझसँग गुजारा एक एक पल जहन में याद है .!
तेरे यहाँ आने के बाद ..मुझमे बिखर जाने के बाद
मेरी जिंदगी तो गुलशन-ए-फकत बेहतरीन आबाद है !
याद हैं वो मुक़म्मल आंसू और मुस्कुराहटें भी ..

तेरी धड़कन की वो धुन मेरी रूह को याद है !
तेरे बिन जो जी.. तुझ संग जो ज़ी ..
हर घड़ी ..हर पहर ..वो जिंदगी मुझे याद है !