Thursday 5 November 2015

#Yaaden Un Raton ki https://www.facebook.com/apspoems

उन चंचल-चांदनी रातों की
वो याद मिटायें हम कैसे !
तेरी बू--नफ़स इन झोकों में है
और वो जवाँ-हुस्न है फ़िज़ाओं में
अब इन झोकों और फ़िज़ाओं से ,
तेरा नाम मिटायें हम कैसे ?!
यूँ लोग देखकर पूछते हैं,
ये कौन है मेरे नैनो में ?
अब इन बादाह सी नशीली आँखों में
तुझको छुपाएँ हम कैसे !!
जो लबों से तेरे उन रातों में
सुर्खियां चुराई हैं मैंने ..
नमी भरी उन सुर्ख़ियों को ..
इन लबों से मिटायें हम कैसे !!
तेरी ज़ुल्फ़ का अक़्स जो ..
बिछा हुआ है इन घटाओं में ..
तेरा-मेरा किस्सा जो ..
मशहूर हो रहा फ़िज़ाओं में ..
अब इन घटाओं और फ़िज़ाओं से ...
ये किस्सा मिटायें हम कैसे ?!
तुझसे तो दूर गया हूँ पर,
तेरी परछाईं चल रही मेरे संग ..
तू जिस्मानी तो यहाँ नहीं फ़िर
तेरे हुस्न की रानाइयां मिटायें हम कैसे !


नफ़स=बदन बादाह=शराब

#‎आदित्य_प्रताप_सिंह ।। #‎aps #‎shayaradi

Thursday 8 October 2015


जाने किन किन उलझनों में फसते देखा है मैंने इंसान को
वो ताउम्र की मेहनत सिर्फ एक कफ़न के वास्ते !



#‎shayaradi #‎wolamhe #‎aps