Tuesday 8 November 2016

लोग और मतलब

लोग अपने भी अनजान से हो गये
हम तो घर में ही मेहमान से हो गये

रोज़ ऊपर से नीचे इधर से उधर
एक बेकार सामान से हो गये

उम्र भर जिनको तकलीफ होने ना दी
वो भी हमसे परेशान से हो गये

तेज़ रफ़्तार से हम नहीं चल सके
अब कदम अपने बेजान से हो गये

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