हिंदी शायरियों और कविताओं का संगम ! स्वरचित कविताएँ !
बड़ी कश्मकश है मौला, थोड़ी रहमत कर दे.... . . . या तो ख्वाब न दिखा, या उसे मुकम्मल कर दे!
No comments:
Post a Comment