Saturday 6 February 2016

#‎दिन_का_ये_आखिरी_पहर‬

दिन का ये आखिरी पहर ..
ये ढलता सूरज..
हमारे अफ़साने की तरह ये उदास शाम ..!
क्यूँ चाहकर भी जर्रे जर्रे में ढूंढ रही हूँ तुझे !
ख्वाहिशों का टूटता आशियाना ..
वो शोर करते हुए घर लौटते खग ..
वो बिलकुल तुम्हारी तरह मुस्काता चाँद !
देख अब भी तेरी वापसी का दीप जला रही हूँ जो हर पल बुझे !!
मुहब्बत का सहरा है मानती हूँ मगर
बिन रुके पार कर ..सारे दर्द दरकिनार कर ..
एक क्षण के लिए ही सही....
फिर से चाहती हूँ तुझे 😣
बिन बारिश इन आँखों का बहता काज़ल ..
मेरे गालों पर लिख रहे तेरा नाम ..
क्यूँ तू इस कदर मुझमे बसा है
पल पल अहसास दिलाना चाहता है मुझे !
हाँ..दिन का ये आखिरी पहर ..
ये बेचैनी-बेतरतीबी भरी ढलती एक और शाम ..
मैं रोज की तरह आज फिर लेकर तेरा नाम
'जा आजाद किया' कहकर खुद से मिटाने की कोशिश करेंगे तुझे













# आदित्य प्रताप सिंह ‘अनु’ 

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