Monday 3 October 2016

फ़क़त जो आते हो मेरे ख्वाबो में

फ़क़त जो आते हो मेरे ख्वाबो में शिरकत करने ,
 आ सकूं मैं भी तेरे ख्वाबों में ऐसी इजाजत दे दो ।

 यूँ छुपकर मुझसे तेरा मुस्कुराना वाज़िब तो नही ,
 तेरा न होकर भी तुझे पा सकूँ ,ऐसी बगावत कर दो ।
 मेरे होंठों पर अपने होंठों की नज़ाकत दे दो
 है बस इतनी सी आरज़ू मेरी, मुझे सिर्फ इज़ाज़त दे दो।।

 तुम्हें पाने के सारे ढंग अपना चुका हूँ मैं
 हो जाओ हासिल खुद ही, कोई ऐसी इबादत दे दो।।

 इश्क़ में नाकामियों के किस्से हज़ार है यहाँ
 मर कर भी जी जाऊँ मैं, मुझे कुछ ऐसी शहादत दे दो।। 

इश्क़ को सदा से ही गुनाह मानता है ये ज़माना
 मैं छू लु तुम्हें अहसासों से, मुझे ऐसी शराफ़त दे दो।।

 कुछ न कर सको तो, फ़क़त इतना ही कर दो
 मैं भूल जाऊँ तुम्हें, मुझे बस अपनी ये आदत दे दो।।

कैद कर रखा है तूने मुझे, मेरे खुद के भीतर 
लो कर दो मुझे मुझी से आजाद ,अब जमानत तो दे दो।
एक नज़र में बेघर कर देना दिल को मेरे इस जिस्म से, 
कहर कैसे ढाती हो ये शरारत तो दे दो। 

पलकें उठा कर नया आशियाँ बना देना तेरा,
पलकें झुका कयामत ढा जाना तेरा
बस इन्ही भीगी पलकों की प्रिये नजाकत तो दे दो।
ये वाह वाही मेरी कलम को जो दुनिया से मिली सब बेकार है , 
लिख सकूँ तुझे बेफिकर होकर , कुछ ऐसी हिमाकत दे दो । 

तारीख: 02.07.2016 आदित्य प्रताप सिंह‬

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