Tuesday, 9 February 2016

अपने



खाई पाटने का काम दिया था जिनको ,
उनने ही इसमें और गहराइयाँ बना दी !!
जिन "पेड़ो" को काटकर पुल बना देते.
उनको ही काटकर क्यों आग लगा दी !!
थोड़ी सी कोशिश से भर जाते सारे जख्म !
पर ,इन लोगो ने तो अपनी 'औकात' दिखा दी !!
हमने जिनको दी मांझा संभालने की जिम्मेदारी ,
ये क्या ! उनने ही हमारी पतंग काट दी
मेरी मोहब्बत छिनने का कसूर सिर्फ मेरा नहीं ,
कुछ मेरे 'अपने' भी हैं ,जिनने खुशियाँ छाँट दी !!

‪#‎आदित्य_प्रताप_सिंह 'अनु'

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