सुनो जरा ,
कहीं मत जाना
अब !
यूँ अकेला छोड़ के,ये प्यारा
रिश्ता तोड़ के
!
जी
न पाउँगा मैं
!
तुम मेरी आदत
हो अब !
पल -पल की
इबादत हो अब
!
बिन तेरे जो
लम्बी थी रातें
,
तन्हाई में कटती
न थी काटे
!
देख कैसे घट
गयी है अब
!
यूँ मेरे संग
हाँ है तू
जब !
अभी तक तो
सिर्फ प्यार थे
,,
पर अब जिंदगी
का सार हो
!
मेरे तड़पते दिल की
बहार हो !
बस कहीं मत
जाना अब !
"सबकुछ"
मेरा बन गए
हो जब !
#आदित्य_प्रताप_सिंह 'अनु'
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