Saturday, 6 February 2016

"सबकुछ" मेरा बन गए हो जब !

सुनो जरा ,
कहीं मत जाना अब !
यूँ अकेला छोड़ के,ये प्यारा रिश्ता तोड़ के !
जी पाउँगा मैं !             
तुम मेरी आदत हो अब !
पल -पल की इबादत हो अब !
बिन तेरे जो लम्बी थी रातें ,
तन्हाई में कटती थी काटे !
देख कैसे घट गयी है अब !
यूँ मेरे संग हाँ है तू जब !
अभी तक तो सिर्फ प्यार थे ,,
पर अब जिंदगी का सार हो !
मेरे तड़पते दिल की बहार हो !
बस कहीं मत जाना अब !
"सबकुछ" मेरा बन गए हो जब !














‪#‎आदित्य_प्रताप_सिंह 'अनु'

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